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कुछ यादों की डायरी : दिसम्बर 2021

दिसम्बर !


कहने को तो यह साल का अंत है! शीत ऋतु अपने चरम पर है, कल और आज जो पानी बरस गया वो कुल्फी जमाने के लिए बहुत है! 

इस साल का यही महीना है जिसे मैं झंझटो से थोड़ा दूर रहकर जी पाया हूँ। हाँ अब लाइफ है तो प्रॉबल्स तो होंगी, उनका कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है। मगर मानसिक तौर पर आप कितना खुश रहते हो यह चीज बहुत मायने रखती है।

हालांकि मैं सिर दर्द का भी प्रिय शिकार रहा हूँ तो आते जाते यह आ ही जाता है, इसके साथ ही सूर्या भाई को तीन से चार घण्टे मोबाइल चाहिए ही चाहिए...!

इस महीने वैसे तो कुछ खास नहीं हुआ, बस जो होना है, होते रहा है। 17 तारीख से मैं डायरी लिख रहा हूँ, हालांकि कोई पढ़े न पढ़े अलग बात है। 

फिर मैंने स्वयं को मानसिक चेतना से जोड़ा, अपने तीज त्यौहारों के प्रति जागरूक किया। अब मैं लोगों से ज्यादा खुद की परवाह करने लगा हूँ, मुझे क्या अच्छा बुरा लगता है ये मुझे बताना होगा ये भी जान गया हूँ, क्योंकि ये दुनिया अंधी, बहरी, गूंगी सब है, जब तक इसके कान में जोर से चिल्लाओगे नहीं ये ऐसे ही हमेशा नकारती रहेगी।

मैंने अपनी मन के खुशियों में खुशियां ढूंढना सीख लिया है, सच्ची खुशी वही है जिसे हृदय से आत्मसात किया जा सके। धीरे धीरे उन सभी उलझनों को सुलझा पा रहा हूँ जिनमें मैं अक्सर उलझ जाया करता था।

सोचा था ये कहानी, इसी साल निबट जाएगी मगर अभी भी उम्मीद कम है, कोशिश तो जारी है मगर उम्मीद कम ही रखो तो बेहतर है! 

हाँ पर इन कुछ महीनों में मैंने काफी हद तक जीना सीखा है। अपनी बातों को स्ट्रोंगली रखना सीखा है, हर छोटी छोटी बारीकी को जाना समझा है। उम्मीद है आगे उम्मीद पर खरा उतर पाऊँ..! ये साल तो जा रहा है, पर बहुत कुछ देकर जा रहा है। मन से अपनी सारी बातें कहकर बेहद हल्का महसूस होता है...!


"एक सुकून सी है जिंदगी...!" 

बाकी सब बस चल ही रहा है...!"

राधे राधे😌🤗

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